मैं छुपकर देख रही थी पापा मम्मी को चोद रहे थे
मैं कविता दिल्ली से हूं, मैं एक आयटी क्वॉलिफाइड इंजीनियर हूं, मैं गुडगांव में एक एमएनसी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं. मेरी उम्र २४ साल है, रंग गोरा, बदन लंबा मेरा फिगर ३४-२८-३६ है, मेरे बूब्स निकले हुए हैं. जब चलती हूं तो लंबे बाल चूतड़ पर एक सांप की तरह लहराते हैं. और ऐसा लगता है कि एक काला नाग मेरे गरम गांड में घुसना चाहता है. झील की गहराई की तरह मदहोश आंखें हैं, मेरे बदन में सेक्स अपील बहुत ज्यादा है. मेरा नाम कुछ भी हो पर मेरे कॉलेज टाइम से ही मजनु टायप छोकरों ने मेरा नाम चुदक्कड गर्ल रखा हुआ था. मेरा नेटिव प्लेस आगरा है जहां पापा बिजनेस करते हैं. मेरा एक बड़ा भैया है, विक्रम. वह दिल्ही में ७ सालों से रह रहा है. कोई ५ साल पहले मैं भी स्टडी करने दिल्ली आ गई और भैया के साथ जनकपुरी, दिल्ली में रहने लगी. मैं बहुत कामुक प्रवृत्ति की हूं. मेने पहली चुदाई मेरे एक बहुत नजदीक रिलेशन में आज से ४ साल पहले की थी, पिछले ४ सालों में मैं सैकड़ों बार अलग अलग वरायटी के १२ लंड से चुद चुकी हूं. उसमें इनसेस्ट चुदाई, फ्रेंड द्वारा चुदाई, फ्रेंड के फ्रेंड द्वारा चुदाई वगेरा. मैंने डिफरेंट वेरायटी के लंड जीनका साइज ६ से ९ इंच लम्बा था और २ से ३ इंच मोटा है अपने लव होल में कम से कम ५००-६०० बार लिया हुआ है, मैंने काले लंड, एकदम गोरे चिट्टे लंड, सीधे लंड और केले नुमा लंड की वेरायटी ले ली है.
मैं पुरी नंगी बैठकर स्टोरी लिख रही हूं, मेरी दो उंगलियां चूत में है, मैं स्टोरी के अंत में बताऊंगी कि स्टोरी लिखते हुए कितनी बार फिंगर फक किया, रीडर आप भी शर्माए नहीं… सच लिखना के कितने बार अपना लंड या चूत झडा स्टोरी पढ़ते हुए. यह बात शनिवार २१ अप्रैल २०१२ की है, मैं पेरेंट्स को मिलने आगरा गई हुई थी. हमारा घर पुराना दो मंजिला बना हुआ था, पेरेंट्स का रूम नीचे ग्राउंड फ्लोर पर है, और मेरा रूम पहले फ्लोर पर है. घर में पुराने डिज़ाइन के रोशनदान बने हुए हैं, कोई ८ फीट की ऊंचाई पर.
में बाई चांस अपने मॉम डैड की चुदाई आज से लगभग ३ साल पहले देख चुकी थी पापा मम्मी को चोद क्या रहे थे जैसे कि एक घोड़ा घोड़ी को चोद रहा हो.. तब मैं नयी नयी चुदाई थी इसलिए शर्म के मारे ज्यादा देर तक उनकी चुदाई नहीं देख पाई थी. आज फिर मेरे मन में उनकी चुदाई देखने की लालसा थी. मैंने १० बजे खाना खाकर मम्मी और पापा को गुड नाईट बोला, और ऊपर अपने रुम में चली गई. थोड़ी देर में ग्राउंड फ्लोर के सारे लाइट बुझ गए तो मुझे लगा कि अब मम्मी पापा का चुदाई का कार्यक्रम शुरू होने वाला है, मैं बेड पर लेटी हुई सोच रही थी कि आज फिर उन की चुदाई देखूंगी. मैं उठ कर पहले फ्लोर के ओपन छत पर टहलने लगी.
थोड़ी देर में मुझे उनकी रूम में से कुछ धीमे धीमें आवाजे सुनाई देने लगी. में दबे पांव स्टैर में आ गई और ग्राउंड फ्लोर का रोशनदान जो की स्टेर के बिल्कुल पास है उसमें से अंदर झांका, तो पाया कि मम्मी नंगी नीचे थी, और पापा उनके ऊपर चढ़कर धक्का लगा रहे थे. उनका गधे के समान १० इंच लंबा और ३ इंच मोटा काला लौड़ा मम्मी की चूत के अंदर बाहर आ जा रहा था. पापा पूरे जोश से एक नौजवान से भी बढ़कर बहुत तेजी से लंड को उनकी चूत में एक पिस्टन की तरह अंदर बाहर कर रहे थे. मैं पिछले ४ सालों में लगभग ६०० बार चुद चुकी हूं पर ऐसे घनघोर चुदाई नहीं देखी थी. मेरी उंगलियां ना जाने कब मेरे गाउन के अंदर मेरी चूत तक पहुंच गई थी, और दो उंगलियां तो अंदर बाहर चल रही थी. उधर मम्मी चिल्ला रही थी.. संजय तुम्हें कितनी बार कहा है कि आराम से चुदाई किया करो, पर तुम उल्टा ज्यादा तेजी से चुदाई शुरू कर देते हो.. मुझे बिल्कुल एक कुतिया की तरह चोद देते हो.
यह सुनते ही पापा का जोश दुगना हो गया और बोले ले कुत्तिया ले कुत्ते का १० इंच लंबा लंड संभाल और दुगनी गति से लंड अब चूत के अंदर बाहर करने लगे. मम्मी को देख के लगता था कि जैसे चुदाई में कोई इंटरेस्ट नहीं था, वह तो बूझे मन से कभी आह कभी आह्ह्ह आऊउ कभी मार डाला बोल रही थी. मेरी चूत में अब तीन उंगलियां अंदर बाहर हो रही थी. मैं सोच रही थी कि काश मैं मम्मी की जगह चुद रही होती तो कितने मजे से चुदवाती. शायद मम्मी पिछले २८ साल से पापा से चुद कर अब उब चुकी थी और सिर्फ पति धर्म निभाने के लिए चुदवा रही थी.उधर पापा ने अपने गति और तेज कर दी थी कि मुझे स्टेर में पापा के लंड और टट्टों के मम्मी की चूत पर टकराती हुई आवाज ठप ठप ठप ठप बिल्कुल अच्छे से सुनाई दे रही थी, और हर आवाज मुझे पागल किए जा रही थी. अब मेरी चार उंगली मेरी चूत में अंदर बाहर हो रही थी. मेरे मुंह से भी आहह अहह औऊ ओह्ह हां मम्म आवज आ रही थी मुझे लग रहा था कि अब मेरी चूत का लावा निकलने वाला है.
मैं अपने मुंह से निकलते हुए आवाजों को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी, इसलिए मैं स्टेर छोड़कर दबे पांव छत पर आ गई और चुत में पूरा हाथ डाल दिया, और बहुत तेजी से घर्षण करते हुए बहुत जोर का मौन कर रही थी. लगभग ५-७ मिनट के पूरे हाथ की चुदाई के बाद में चीख मारकर झड़ गई.मेरी चूत से शायद आधा गिलास जूस निकला होगा यह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा डिस्चार्ज था. मैं अपने पूरे हाथ को चुत में डालती फिर बाहर निकालती और पूरे हाथ को अपने मुंह में दे रही थी. इस तरह मैंने वह आधा गिलास का चूत का मीठा रस चाट लिया. मैं अब अपने को बहुत हल्का महसूस कर रही थी.
पर नीचे से आती चुदाई की आवाज ने फिर मुझे स्टेर मे रोशनदान के पास ला खड़ा किया, मेरे मन में कोई भी डर या संकोच नहीं था कि मैं अपने पेरेंट्स की चुदाई का आनंद ले रही हूं. तब मुझे पापा की आवाज सुनाइ दी नेहा रानी अब कुत्तिया बन जाओ, मैं तुम्हें अब पीछे से अपना लोहे जैसा लंबा लंड चूत में पेलूंगा. नेहा रानी का जवाब तो बिल्कुल निराशाजनक था, मैं दो बार झड़ चुकी हूं, अब जल्दी कुत्तिया को चोदो और जड जाओ मेरी इस चूत में जल्दी..फिर मम्मी किसी रोबोट की तरह बेड से उठी और बेड के साइड अपने हाथों से पकड़कर घोड़ी बन गई. मुझे उनकी चूत से निकला हुआ रस उनके जांघों पर बहता हुआ दिखाई दिया. पापा का लंड मम्मी के चूत के जूस से बिल्कुल तर था और एक काला मुसल लग रहा था. पापा ने अपने हाथों से मम्मी की जांघों का रस समेट लिया और फटाफट उस रस को अपने मुंह के हवाले किया, और चाट गए.फिर बोले ले कुतिया की औलाद मेरे इस खंभे जैसे लंड को संभाल और अपना लंड फच की आवाज के साथ मम्मी की चूत में घुसेड़ दिया. मम्मी ने जोर से कराह के साथ उस डंडे जैसे काले लंड को अपने लव हॉल में ले लिया. अब पापा फिर से गधे जैसे लंड को बहुत तेजी से अंदर बाहर करने लगे. और साथ ही थोड़ी देर बाद मम्मी के ४४ इंच मोटे चूतड़ों पर जोर का थप्पड़ मारते हुए बोलते, क्या हाल है अब मेरे नेहा रानी का?
मम्मी कोई जवाब नहीं दे रही थी और वह किसी पत्थर की मूरत की तरह चुद रही थी. मुझे मम्मी का इस तरह का बिहेवियर कुछ समझ नहीं आ रहा था. मुझे तो बाद में पता चला कि मम्मी की अब सेक्स और चुदाई में कोई रुचि नहीं है. वह तो अब धार्मिक जीवन जीना चाहती है. और पापा को यह सब बातों से बहुत चिढ है वह जिंदगी को सेक्स करते आगे बढ़ना चाहते हैं.मेरी चूत फिर से गीली होने लगी, मेरा दिल कर रहा था कि मम्मी की जगह मैं जाकर कुत्तिया बन जाऊं और पापा के लंड से घनघोर चुदाई करवाउ. मेरे मन में पता नहीं कहां से ख्याल आया और मैं तुरंत स्टेर के गोल पाइप की बनी हुई काली रेलिंग पर बैठ गई और उस रेलिंग को पापा का लंड समझकर उस पर अपनी चूत और गांड रगड़ने लगी. मेरी चूत का रस उस रेलिंग को जैसे नया पेंट कर रहा था. और उस को चमका दिया.
उधर पापा लगातार मम्मी की चूत में तेजी से धक्के मार रहे थे, उनका लंड थप थप की आवाज निकलता हुआ मम्मी के चूत में अंदर बाहर आ जा रहा था. बीच बीच में पापा बड़े बेरहमी से मम्मी के ४० साइज के दो खरबूजे को भी दबा देते थे. और मम्मी गुस्से से पापा को देख कर रह जाती थी. हर आवाज के साथ में और ज्यादा गरम हो रही थी.मेरे बुर का रस रेलिंग के पाइप को गिला करते हुए नीचे भी गिर रहा था, मैं हैरान थी के पापा के अंदर वह कौन सी ताकत है जो अब तक लगभग ३५ मिनट के घमासान चुदाई के बावजूद नहीं झड़े थे. मैं अब तक लगभग ६०० बार चुद चुकी हूं पर मैंने इतना ताकतवर लंड इस उम्र में नहीं देखा था.
मुझे बाद में पता लगा के पापा योगा करके अपने सेक्स पावर को मेंटेन रखते हैं. मेरी मां नीचे पापा के लोहे जैसे लंड से चुद रही थी और ऊपर बेटी लोहे के काले पाइप को लंड बनाकर चुद रही थी. अपनी चूत और गांड को बहुत तेजी से पाइप मा पर बहुत तेजी से रगड़ रही थी. मेरे मुंह से अब मोन की आवाज आने लगी थी, इसलिए मैंने तुरंत अपने गाउन को उतारा और अपने मुंह पर बांध लिया ताकि मेरी आवाज मम्मी पापा ना सुन सके.और फिर अगले चार पांच मिनट में एक जोर की चीख मार कर पाइप के ऊपर जड़ गई. मेरा यह डिस्चार्ज पिछले से बहुत बड़ा था, मेरी चूत में से ३-४ मिनट तक फवारे की तरह पानी निकलता रहा. कुछ पानी तो पाइप से नीचे भी टपक गया था. मैं उस पानी को फटाफट चाट गयी.
इस बीच में शायद अपनी चूत को झड़ने में इतनि मग्न थी के मुझे पता ही नहीं लगा के कब पापा मम्मी ने चुदाई का पोज बदल लिया और अब पापा बेड पर सीधे लेटे हुए थे और मम्मी पापा के ऊपर चढ़ी हुई थी, और उनकी चूत को पापा उछल उछल कर फाड़ने की कोशिश कर रहे थे. मम्मी तो एक रोबोट की तरह बस उनके ऊपर चढ़ी हुई. और पापा का लंड उनकी चूत में सटा सट अंदर बाहर हो रहा था.मैं पिछले ३० मिनट में दो बार झड़ चुकी थी, मेरी टांगों में अब खड़े रहने की शक्ति नहीं थी. मैं अब स्टेर पर नंगी ही बैठ गई, और उस घनघोर चुदाई को देखती रही. तब मम्मी बोली कि अब निकालो भी अपने लंड से रबड़ी.. मैं तो अब तीसरी बार झड़ रही हूं. तभी मम्मी के शरीर में जैसे किसी ने बिजली का करंट लगा दिया हो वैसे उनके शरीर में ऐठन सी हुई और वह चीख मार कर झड़ गयी. मैं सोच रही थी कि मुझे ऐसा लंड मिल जाए तो मैं अपने को बहुत भाग्यवान समझूंगी.
शायद पापा को मम्मी पर तरस आ गया था, बोले नेहा रानी तेरे ३ पोज में चुदाई के बावजूद मेरा मन नहीं भरा पर मैं अब झड़ता हूं और फिर पापा ने मम्मी को अलग किया और तुरंत उनके काले मोटे लंड से बहुत तेज से सफेद रबड़ी निकालकर मम्मी के मुंह और पेट पर गिरा दिया. मैं हैरान से देख रही थी कि पापा तो ५ मिनट तक बहुत तेजी से सफेद वीर्य के धार छोड़ रहे थे. मम्मी पास पड़े हुए गाउन को उठाने के लिए बढ़ रही थी कि पापा ने दोनों हाथों से उस रबड़ी को लेकर अपने मुंह के हवाले कर दिया. मैंने ऐसा दृश्य ना आज तक देखा था और ना ही कभी इसे देखने की उम्मीद थी.निचे अब चुदाई खत्म हो चुकी थी, मम्मी अपने शरीर को साफ करने के लिए टॉयलेट चली गई थी और पापा बेड पर नंगे लेटे हुए घनघोर चुदाई के बाद आराम कर रहे थे. मैंने भी अब वहा से खिसकने में भलाई समझी और अपने रूम में आ गई. मैं बहुत देर तक वह तरकीब सोचती रही कि जिस से पापा का लंड मेरी चूत को शांत कर सके. मैं बहुत थक गई थी इसलिए जल्दी ही नंगी सो गई.
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Thenga
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